Priyanka Verma

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लेखनी - जिम्मेदारी

जिम्मेदारी...


ज़िम्मेदारियों की कोई उम्र नहीं होती,
जन्म से लेकर बुढ़ापे तक,
बस यही तो हमेशा साथ होतीं,

नन्हे नन्हे हाथों में,
जब कलम की जगह,
ढाबों पर सफाई का कपड़ा दिखता है,
उस वक्त जिम्मेदारियों का नाम बदनाम हो जाता है..
दुधमुंहे बच्चे को अपनी छाती से लगाए
जब एक मां ईंटो के भट्ठे पर काम करती है,
तब जिम्मेदारियों का अहसास
कुछ ज्यादा ही गहरा जाता है..
बुढ़ापे में कांपते हाथों से जब
सब्जी वाला चक्कर लगाता है,
तब जीवन की जिम्मेदारियों का बोझ
बहुत ही दुख देकर जाता है,

कोई नही बच पाता है,
ये सिलसिला ताउम्र चलता जाता है,
हर रिश्ते में अपनी जिम्मेदारियों को
हर हाल में निभाना होता है,
रोकर, हंसकर जैसे भी,
ये सफर हमें खुद ही तय करना होता है।


प्रियंका वर्मा
4/6/22

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6 Comments

Seema Priyadarshini sahay

06-Jun-2022 11:57 AM

👌👌

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Saba Rahman

05-Jun-2022 11:17 PM

Osm

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Priyanka Verma

05-Jun-2022 09:53 PM

Thank you so much , dear friends 🙏💐😊💐💐💐

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